Monday, 31 March 2014

अप्रैल – २०१४ : राशिफल


मेष राशि वालों का स्वास्थय प्रभावित हो सकता है, निर्णय लेने में असमर्थ ,मानसम्मान मिल सकता है ,यात्रा के प्रसंग ,तीर्थ यात्रा ,व्यापार की और से संतुष्ट तथा स्त्री का स्वास्थय प्रभावित हो सकता है |

वृष राशि वाले धन को लेकर संतुष्ट, शत्रुओ का नाश, संतान द्वारा मानसम्मान प्राप्त होगा, लाभ मिलना की संभावना तथा धोके से बचे |

मिथुन राशि वालों का स्वास्थय ठीक रहेगा, व्यापार की और से संतुष्ट, भूमि-    वाहन की लेकर संतुष्ट, संतान को लेकर चिंता, मानसिक रूप  से परेशान हो सकते है |

कर्क राशि वाले मानसम्मान बने रखे, भूमि-वाहन की चिंता, राज्य से संबन्धित कार्यो में सफलता परंतु धोके से सावधान तथा लाभ में कमी |

सिंह राशि वालों का धन रुख सकता है, मानसम्मान प्राप्त होगा, जीवन साथी द्वारा संतुष्ट, तीर्थ यात्रा तथा लाभ मिल सकता है तथा कुल मिलाकर मास ठीक रहेगा |

कन्या राशि वाले चोरी से सावधान, स्वास्थय प्रभावित हो सकता है, स्त्री से मनमुटाव, हिम्मत बने रखे तथा कुल मिलाकर मास अच्छा नहीं है अथवा सावधानी बरते |

तुला राशि वालों का स्वास्थय ठीक रहेगा, व्यापार व जीवन साथी से अनबन हो सकती है, तीर्थ यात्रा के प्रसंग, लाभ में विहन आ सकता तथा खर्चा बढ़ा रहेगा

वृश्चिक राशि वाले मानसिक रूप से परेशान हो सकता है, निर्णय लेने में असमर्थ ,संतान व धन को लेकर चिंता तथा निर्माण कार्य पर ध्यान दे |

धनु राशि वालों को स्त्री द्वारा सम्मान, संतान को लेकर फिजूल की चिंता , व्यापार में व्रद्धि, कर्म भाव मजबूत रहेगा, लाभ मिल सकता है तथा कुल मिलाकर मास अच्छा रहेगा |

मकर राशि वाले स्वास्थय से सचेत रहे, मानसम्मान प्राप्त होगा, कार्य को लेकर संतुष्ट तथा कर्म भाव मजबूत रहेगा |

कुम्भ राशि धन को लेकर संतुष्ट, मानसम्मान प्राप्त होगा ,यात्रा के प्रसंग, पराक्रम बनाए रखे, संतान को लेकर संतुष्ट तथा ऐश्वर्य लाभ हो सकता है |

मीन राशि वालों का स्वास्थय प्रभावित हो सकता है, परिवर की चिंता, भूमि-वाहन की लेकर संतुष्ट तथा धन की प्राप्ति हो सकती है |

Saturday, 1 March 2014

वास्तु और स्वास्थ्य !!

वास्तु और स्वास्थ्य


हमें कई बार समझ नहीं आता कि कोई बीमारी न होते हुए भी हम अकसर बीमार क्यों हो जाते है. वास्तव में वास्तु और स्वास्थ्य का गहरा संबंध होता है. वास्तु का भी हमारे जीवन में विशेष प्रभाव रहता है. मानसिक हालत कमजोर होने की स्थिति में हम डिप्रेशन या अवसाद का शिकार हो जाते हैं. ऐसा होने पर व्यक्ति के विचारों, व्यवहार, भावनाओं और दूसरी गतिविधियों पर असर पड़ता है. डिप्रेशन से प्रभावित व्यक्ति अक्सर उदास रहने लगता है, उसे बात-बात पर गुस्सा आता है, भूख कम लगती है, नींद कम आती है और किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता. लंबे समय तक ये हालत बने रहने पर व्यक्ति मोटापे का शिकार बन जाता है, उसकी ऊर्जा में कमी आने लगती है, दर्द के एहसास के साथ उसे पाचन से जुड़ी शिकायतें होने लगती हैं. कहने का मतलब यह है कि डिप्रेशन केवल एक मन की बीमारी नहीं है, यह हमारे शरीर को भी बुरी तरह प्रभावित करता है. डिप्रेशन के शिकार किसी व्यक्ति में इनमें से कुछ कम लक्षण पाए जाते हैं और किसी में ज्यादा.
आमतौर पर शरीर में बीमारी होने पर हम उसके बायोलॉजिकल, मनोवैज्ञानकि या सामाजिक कारणों पर जाते हैं. यहां पर आज हम बीमारियों के उस पहलू पर गौर करेंगे, जो हमारे घर के वास्तु से जुड़ा है. कई बीमारियों की वजह घर में वास्तु के नियमों की अनदेखी भी हो सकती है. अगर आप इन नियमों को जान लेंगे और उनका पालन करना शुरू करेंगे तो आपको इन बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है.
1. जैसे वास्तु में यह माना जाता है कि अगर आप दक्षिण दिशा में सिर करके सोते हैं तो आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है. जहां तक करवट का सवाल है तो वात और कफ प्रवृत्ति के लोगों को बाईं और पित्त प्रवृत्ति वालों को दाईं करवट लेटने की सलाह दी जाती है.
2. सीढ़ियों का घर के बीच में होना स्वास्थ्य के लिहाज से नुकसान देने वाला होता है, इसलिए साढ़ियों को बीच के बजाय किनारे की ओर बनवाएं.
3. इसी तरह भारी फर्नीचर को भी घर के बीच में रखना अच्छा नहीं माना जाता. इस जगह में कंक्रीट का इस्तेमाल भी वास्तु के अनुकूल नहीं होता. दरअसल घर के बीच की जगह ब्रह्मस्थान कहलाती है, जहां तक संभव हो तो इस जगह को खाली छोड़ना बेहतर होता है.
4. घर के बीचोबीच में बीम का होना दिमाग के लिए नुकसानदायक माना जाता है.
5. वास्तु के नियमों के हिसाब से बीमारी की एक बड़ी वजह घर में अग्नि का गलत स्थान भी है. जैसे कि अगर आपका घर दक्षिण दिशा में है, तो इसी दिशा में अग्नि को न रखें.
6. रोशनी देने वाली चीज को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना स्वास्थ्य के लिए शुभ माना जाता है. घर में बीमार व्यक्ति के कमरे में कुछ सप्ताह तक लगातार मोमबत्ती जलाए रखना भी उसके स्वास्थ्य के लिए शुभ होता है.
7. अगर घर का दरवाजा भी दक्षिण दिशा में है, तो इसे बंद करके रखें. यह दरवाजा लकड़ी का और ऐसा होना चाहिए, जिससे सड़क अंदर से न दिखे.
8. घर में किचन की जगह का भी हमारे स्वास्थ्य से संबंध होता है. दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन होने से व्यक्ति अवसाद से दूर रहता है.
9. घर के मुख्य द्वार से यदि रसोई कक्ष दिखाई दे तो घर की स्वामिनी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और उसके बनाए खाने को भी परिवार के लोग ज्यादा पसंद नहीं करते हैं.यदि आपकी रसोई बड़ी है तो आपको रसोई घर में बैठ कर ही भोजन करना चाहिए. इससे कुंडली में राहु के दुष्प्रभावों का शमन होता है.
10. पूरे परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिए घर में दक्षिण दिशा में हनुमान का चित्र लगाना चाहिए.
11. शैया की माप के बारे में विधान है कि शैया की लंबाई सोने वाले व्यक्ति की लंबाई से कुछ अधिक होना चाहिए. पलंग में लगा शीशा वास्तु की दृष्टि से दोष है, क्योंकि शयनकर्ता को शयन के समय अपना प्रतिबिम्ब नजर आना उसकी आयु क्षीण करने के अलावा दीर्घ रोग को जन्म देने वाला होता है.
12. बेड को कोने में दीवार से सटाकर बिलकुल न रखें. कमरे में दर्पण को कुछ इस तरह रखें, जिससे लेटी अवस्था में आपका प्रतिबिम्ब उस पर न पड़े.
13. शयनकक्ष में साइड टेबल पर दवाई रखने का स्थान न हो. अनिवार्य दवाई को भी सुबह वहाँ से हटाकर अन्यत्र रख दें.फ्रिज कभी भी बेडरूम में न हो.


Friday, 28 February 2014

मार्च - 2014 राशिफल !

मेष राशि वाले दुविधा में हो सकते है, निर्णय  लेने में असमर्थ, मानसम्मान बना रहेगा, शिक्षा में रुचि, संतान की और से संतुष्ट, व्यापार  में रुकावट, जीवन साथी से अनबन तथा धोखा  मिल सकता है|

वृष राशि वाले धन व विद्या को लेकर संतुष्ट, खान-पान के शौकीन, भूमि-वाहन को लेकर संतुष्ट, किसी पुराने रोग की बढ्ने की संभावना है, भाग्य के भरोसे न रहे, धोखा से बचे तथा यात्रा के योग |
मिथुन राशि वालों का स्वास्थय प्राय: ठीक रहेगा, मानसम्मान प्राप्त होगा, मन स्थिर रहेगा, संतान व विद्या को लेकर  चिंता, तीर्थ यात्रा के प्रसंग, धोखा से बचे तथा लाभ मिलना में संभावना है |

कर्क राशि वाले धन व विद्या को लेकर संतुष्ट, मन स्थिर रहेगा, खान-पान के शोकीन, भूमि-वाहन आदि को लेकर चिंता, जीवन साथी से संतुष्ट तथा किसी अधिकारी से सहायता मिल सकता है |

सिंह राशि वाले स्वयं निर्णय  ले, मानसम्मान में कमी आ सकती है, प्रकरम में कमी, यात्रा में रुकावट, पड़ोसी से अनबन, गुप्त भाग में कोई रोग, व्यापार में लाभ, बढ़े भाई से लाभ तथा लंबी यात्रा कर सकते है |

कन्या राशि वाले धन व शिक्षा को लेकर  चिंता, परिवार में मनमुटाव, किसी कला में रुचि, स्वास्थय का ध्यान रखे, व्यापार में अनबन तथा खर्चा अधिक हो सकता है |

तुला राशि वाले निर्णय लेने में असमर्थ, भूमि-वाहन  की और से संतुष्ट, किसी कला में रुचि, संतान की और से संतुष्ट, परिवार में अनबन, व्यापार में अनबन, भाग्य बचाव कर सकता है तथा स्त्री द्वारा लाभ मिल सकता है .

वृश्चिक  राशि वालों को स्त्री वर्ग द्वारा लाभ
, यात्रा के योग, भूमि-वाहन को लेकर  चिंता, संतान व शिक्षा को लेकर संतुष्ट, रोग व शत्रु से परेशान, धन को लेकर चिंता तथा यात्रा में रुकावट आ सकती है|


धनु राशि वाले धन से संतुष्ट, मानसम्मान बना रहेगा, भूमि-वाहन को लेकर  संतुष्ट, संतान से अनबन, व्यापार प्राय: ठीक रहेगा, जीवन साथी से संतुष्ट तथा लाभ मिल सकता है |

मकर राशि वाले सुंदर प्रसाधान के शौकीन, धन को लेकर संतुष्ट, मान - सम्मान बनाए रखे, भूमि-वाहन की  चिंता, मन अस्थिर तथा राज्याधिकारी द्वारा लाभ मिल सकता है |

कुम्भ राशि वाले बुद्धि  से काम ले, धन से संतुष्ट, यात्रा के योग , पराकरम में कमी,संतान व शिक्षा को लेकर  संतुष्ट तथा  व्यापार प्राय: ठीक रहेगा |

मीन राशि वालों को क्रोध पर काबू पाना चाहिए, धन को लेकर चिंता, भूमि-वाहन को लेकर संतुष्ट, मन स्थिर परंतु संतान को लेकर  चिंता, दुर्घटना के योग, स्त्री द्वारा लाभ मिल सकता है, यात्रा के योग तथा व्यापार को लेकर चिंता |

Monday, 24 February 2014

KAL SHARP YOGA

THERE IS COLLECTION OF GRAHA AT ANY PLACE IN MAN’S KUNDLI. THEN THIS SITUATION IS CALLED YOG. THERE IS MUCH IMPORTANCE OF SUCH YOGA’S IN KUNDALI. WHEN RAHU & KETU IN ANY KUNDALI AT ONE SIDE AND REST IN OTHER SIDE, THEN THIS TYPE OF HOME SITUATION IS KNOWN AS “KAL SHARP YOGA”. IT IS NOT KNOWN AS KAL SHARP DOSHA. THERE ARE 300 TYPES OF YOGA’S ARE DESCRIBED BY WISEMAN, IN WHICH ONE IS FAMILIAR BY THE NAME OF KAL SHARP YOGA & THAT IS HORIBLE.
  IF THERE ARE GRAHA AT THE BOTH SIDE OF SUN, THE YOGA’S BUILD IS VALI, VASI & UBHAYCHARI. IF THERE ARE GRAHA AT THE BOTH SIDE OF MOON, THEN THERE ARE ANFA, SUNFA, DURDRAHA AND KENDRUM YOGA. IF THERE IS MOON WITH SHANI, THEN THERE IS POISON YOGA AND IF THERE IS RAHU WITH THE MOON, THEN GRAHAN YOGA. IF RAHU IS WITH GURU,THEN CHANDAL YOGA. IN THIS WAY, IF ALL GRAHA’S ARE AROUND THE RAHU & KETU, THEN THE YOGA’S IS KNOWN AS KAL SHARP YOGA.

 THERE IS A WIDE DESCRIPTION OF KAL SHARP YOGA BY VARAHMIHIR IN HIS SANHITA. ALSO IT WILL BE FOUND IN THE BOOK “SARAWALI” WRITTEN BY SHRI KALYAN VERMA.

Saturday, 15 February 2014

कालसर्प योग

मानव की  जन्म कुंडली में जब ग्रहो का एकीकरण  किसी स्थान में होता है | तब इस प्रकर की स्थिति को योग कहा जाता है | जन्म पत्रिका में योगो का बहुत ही महत्व होता है | जब किसी मनुष्य की जन्म कुंडली में राहू और केतू दोनों ग्रह एक ओर हो, और शेष ग्रह दूसरी ओर स्थित हो तब इस प्रकर  की गृह स्थिति को कालसर्प योग के नाम से जाना जाता है | न कि कालसर्प दोष के नाम से जाना जाता है | विद्वानो  ने कुंडली में लगभग 300 प्रकार  के योगो का वर्णन किया है | जिन में से एक कालसर्प योग के नाम से भी प्रचलित है तथा कालसर्प योग एक भयानक योग  है |
सूर्य के दोनों ओर गृह रहने पर '' वली" " वसी" और "उभयचरी" योग बनता है | चंद्रमा के दोनों ओर गृह होने पर " अनफा "सुनफा "दुर्दरहा और केंद्रुम योग बनता है | शनि के साथ चंद्रमा हो तो विष योग बनता है तथा चंद्रमा के साथ यदि राहू हो तो ग्रहण योग बनता है | राहू गुरु के साथ हो तो चांडाल योग बनता है | इसी प्रकर  जब सभी ग्रह राहू - केतू के इर्द - गिर्द हो तो ज़ो योग बनता है उसको कालसर्प योग कहा जाता है | 

अभूत पूर्व ज्योतिष प्रकांड विद्वानो वराहमिहरी ने अपनी सहिता के "जातक नम संयोग " में कालसर्प 
का वर्णन किया है | श्री कल्याण वर्मा के द्वारा रचित "सारावली"   में कालसर्प योग का वर्णन देखने को मिलता है |

 श्री वराहमिहिर द्वारा रचिता " जातक नम संयोग" में "कालसर्प योग" का वर्णन देखने को मिलता है| यही नहीं जैन ऋषि द्वारा भी अनेक जैन ज्योतिष ग्रंथो में "कालसर्प योग " की विख्या  है| उनके मतानुसार  सूर्य ग्रहण अथवा चन्द्र ग्रहण के समय ज़ो स्थिति होती है वही स्थिति  कालसर्प योग के कारण जातक के जनामंग में होती है| वास्तव में राहू और केतू छाया गृह है तथा उनकी अपनी कोई द्रष्टि नहीं होती | राहू व केतू के फलित ज़ो देखने को मिलते  है, उनको राहू व केतू के देवतायो के नक्षत्र को जोड़कर  " कालसर्प योग " कहा जाता है | राहू के गुण शनि जैसे व केतू के गुण मंगल गृह की भाति होते है | राहू की युति किस गृह के साथ है, वह किस स्थान का आधिपति है, यह भी देखना अनिवारीय  है | राहू मिथुन राशि में उच्च  का तथा अपने सप्तम स्थान अतार्थ  धनु राशि में नीच को होता है तथा कन्या राशि में स्वग्रही कहलाता है |

Friday, 7 February 2014

सिग्नेचर या हस्ताक्षर की महत्ता !


आज शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो कभी सिग्नेचर या हस्ताक्षर नहीं करता है। हर छोटे-बड़े पेपर वर्क में हमें सिग्नेचर करने होते हैं। जॉब या नौकरी करने वाले व्यक्ति को ऑफिस में अपनी उपस्थित दर्ज कराने के लिए प्रतिदिन हस्ताक्षर करते हैं। इसी वजह से हस्ताक्षर का काफी अधिक महत्व है। 
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सिग्नेचर व्यक्ति की मुहर का यानी स्टाम्प का ही काम करते हैं। किसी भी कार्य से संबंधित पेपर्स पर यदि आपके हस्ताक्षर है तो यही माना जाएगा कि आपने उस काम को अपनी सहमति प्रदान कर दी है।
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हस्ताक्षर की महत्ता को देखते हुए ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनसे किसी भी स्त्री-पुरुष के 
हस्ताक्षर देखकर ही उसके स्वभाव की गुप्त बातें मालूम की जा सकती है।
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1)
जो लोग हस्ताक्षर का पहला अक्षर बड़ा लिखते हैं वे विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं। ऐसे लोग किसी भी कार्य को 
अपने ही अलग अंदाज से पूरा करते हैं। पहला अक्षर बड़ा बनाने के बाद अन्य अक्षर छोटे-छोटे और सुंदर दिखाई देते हों तो व्यक्ति धीरे-धीरे किसी खास मुकाम पर पहुंच जाता है। ऐसे लोगों को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं !
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2)
जो लोग बुरी तरह से, जल्दी-जल्दी और अस्पस्ट हस्ताक्षर करते हैं वे जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसे लोग सुखी जीवन नहीं जी पाते हैं। हालांकि ऐसे लोगों में कामयाब होने की चाहत बहुत अधिक होती है और इसके लिए वे श्रम भी करते हैं। ये लोग किसी को धोखा भी दे सकते हैं। इनका स्वभाव चतुर होता है इसी वजह से इन्हें कोई धोखा नहीं दे सकता।
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3)
कुछ लोग अपने हस्ताक्षर को तोड़-मरोड़ कर या टुकड़े-टुकड़े में करते हैं, हस्ताक्षर के शब्द छोटे-छोटे और अस्पष्ट होते हैं जो कि आसानी से समझ नहीं आते हैं। ऐसे लोग सामान्यत: बहुत ही चालाक होते हैं। ये लोग अपने काम से जुड़े राज किसी के सामने जाहिर नहीं करते हैं। कभी-कभी ये लोग गलत रास्तों पर भी चल देते हैं और किसी को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
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4)
जो लोग कलात्मक और आकर्षक हस्ताक्षर करते हैं वे रचनात्मक स्वभाव के होते हैं। उन्हें किसी भी कार्य को कलात्मक ढंग से करना पसंद होता है। ऐसे लोग किसी न किसी कार्य में हुनरमंद होते हैं। इन लोगों के काम करने का तरीका अन्य लोगों से एकदम अलग होता है। ऐसे हस्ताक्षर वाले लोग पेंटर या कोई कलाकार भी हो सकते हैं।
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5)
कुछ लोग हस्ताक्षर के नीचे दो लाइन खींचते हैं। जो ऐसे सिग्नेचर करते हैं उनमें असुरक्षा की भावना अधिक होती है। ऐसे लोग किसी भी कार्य में सफलता को लेकर संशय में रहते हैं। खर्च करने में इन्हें काफी बुरा महसूस होता है अर्थात ये लोग कंजूस भी हो सकते हैं।
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6)
जो लोग हस्ताक्षर करते समय नाम का पहला अक्षर थोड़ा बड़ा और पूरा उपनाम लिखते हैं वे अद्भुत प्रतिभा के धनी 

होते हैं। ऐसे लोग जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं। ईश्वर में आस्था रखने वाले और धार्मिक कार्य करना 

इनका स्वभाव होता है। ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन भी सुखी होता है।
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7)
जिन लोगों के हस्ताक्षर एक जैसे लयबद्ध नहीं दिखाई देते हैं वे मानसिक रूप से अस्थिर होते होते हैं। इन्हें मानसिक 
कार्यों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
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8)
जिन लोगों के हस्ताक्षर सामान्य रूप से कटे हुए दिखाई देते हैं वे नकारात्मक विचारों वाले होते हैं। इन्हें किसी भी कार्य में असफलता पहले नजर आती है।
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9)
जिन लोगों के सिग्नेचर मध्यम आकार के अक्षर वाले, जैसी उनकी हैंड राइटिंग है, ठीक वैसे ही हस्ताक्षर हो तो व्यक्ति 
हर काम को बहुत ही अच्छे ढंग से करता है। वह हर काम में संतुलन बनाए रखता है। ये लोग दूसरों के सामने बनावटी 
स्वभाव नहीं रखते हैं। जैसे ये वास्तव में होते हैं ठीक वैसा ही खुद को प्रदर्शित करते हैं।
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10)
जो लोग अपने हस्ताक्षर को नीचे से ऊपर की ओर ले जाते हैं वे आशावादी होते हैं। निराशा का भाव उनके स्वभाव में नहीं होता है। ऐसे लोग भगवान में आस्थ रखने वाले भी होते हैं। इनका उद्देश्य जीवन में ऊपर की ओर बढऩा होता है। इस प्रकार हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति अन्य लोगों का प्रतिनिधित्व करने की इच्छा रखते हैं।
जिन लोगों के हस्ताक्षर ऊपर की नीचे की ओर जाते हैं वे नकारात्मक विचारों वाले हो सकते हैं। ऐस लोग किसी भी काम में असफलता की बात पहले सोचते हैं।

Sunday, 19 January 2014

Ganesha vandana

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम् ।

कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् ।

अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम् ।

नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ॥ 1


नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम् ।

नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् ।

सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम् ।

महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥ 2


समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरम् ।

दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् ।

कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करम् ।

मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥ 3


अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनम् ।

पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् ।

प्रपञ्च नाश भीषणं धनञ्जयादि भूषणम् ।

कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ॥ 4



नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम् ।

अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम् ।

हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनाम् ।

तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥ 5